Thursday 28 February 2013

....और एक मलाल



फिर एक साल
और
एक मलाल
बढ़ती जाती है
फेहरिस्त
उम्र की तरह
...............
क्या छूटा है
करने, सीखने,
जानने, जीने से
कैसे कम होंगे ये मलाल
..............................
फिर जन्म लेना चाहूँगी
इन्हीं मलालों के साथ
ताकि दूर कर सकूँ
शिकायतें जो
खुद से हैं
........................
लेकिन जब तक
ये नहीं होता
तब तक
फिर एक साल
और एक मलाल

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