Tuesday 11 May 2010

दर्द के लिए दवा के तौर पर दर्द की तलाश


बेचैन दिन और तपती-सी रातें हैं.... उद्वेलन, उलझन और विषाद की पर्तें चढ़ने लगी है। होने पर सवाल और मुट्ठी में बँधी रेत-सी फिसलती....साँसों का अहसास.... हो पाने का अहसास और होने को बहा दिए जाने की तीखी ख्वाहिश..... ऐसे ही तपते, उलझे और मुश्किल दिनों में शिद्दत से बीमार हो जाने की ख्वाहिश करती हूँ.....। बेवकूफ कही जाती हूँ.... इसलिए ख्वाहिश तो करती हूँ, लेकिन उसे जाहिर नहीं करती...... अक्सर 2-4 दिनों के बुखार के बाद यूँ लगता है, जैसे पुनर्जन्म हुआ है..... पुराना सब कुछ कहीं इन दिनों में बह गया है.... सारी उलझनें सुलझ जाती है और जीवन अपने पूरेपन में नया हो जाता है..... हम भी.....लेकिन या तो मैं गलत हूँ या फिर मेरे एहसास..... या फिर...... पता नहीं... मेरा लगना और चाहना एक बार फिर से उसी शिद्दत से उभर रहा है। विचारों और ख्वाहिशों की गुंजलक बन गई है.... उलझनें गहरी हो गई है और कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है.....। तो फिर वही ख्वाहिश उभरी है...। अपने धुल जाने और नए हो जाने के लिए फिर से बीमार हो जाना चाहती हूँ।
इन दिनों निर्मल वर्मा की डायरी पढ़ रही हूँ। इससे पहले कभी किसी की डायरी पढ़कर यह नहीं लगा कि ये मेरा आइना है.... इसे पढ़कर हर दिन लगता है। इच्छा जागती है कि काश ये कंठस्थ हो जाए..... इसकी हरेक चीज मुझे याद रहे..... जानती हूँ, थोड़ा मुश्किल है। हाँ तो इसका जिक्र इसलिए यहाँ आया कि वे भी यही कहते हैं....
क्या बीमारी किसी सॉल्वेंट का काम करती है, जिसमें हमारा मैं घुल जाता है और हम दुबारा इस दुनिया में नई साँस लेने आते हैं – मानो देह का बुखार आत्मा के ज्वर को अपने में समा लेता है और उसे हल्का और मुक्त छोड़ देता है।

ये पढ़कर मुझे अच्छा लगा..... आखिर इस दुनिया में कोई तो है/था, जो मेरी ही तरह महसूस करता है/था। हालाँकि कोई भी विचार, अहसास दुनिया में अनूठा, अलबेला नहीं होता है, लेकिन जब तक हमें उस तरह से सोचने और महसूस करने वाला न मिले तब तक के लिए तो वह अनूठा ही हुआ ना....! खैर अच्छा लगने का कारण एक तो यह है कि आखिर कार मैं ऐसा कुछ तो महसूस करती हूँ जो निर्मल वर्मा जैसे धुरंधर बौद्धिक ने भी कभी अनुभव किया है। दिल के खुश रखने के लिए कोई भी खयाल क्या बुरा है।
तो मेरे बीमार होने की दुआ करें...... आमीन!

2 comments:

  1. बीमारी या बुख़ार ! खै़र आमीन....

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  2. अपने धुल जाने और नए हो जाने के लिए फिर से बीमार होजाना चाहती हूँ...............बढ़िया अभिव्यक्ति...

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